अवसर तलाशें,पुस्तैनी व्यवसाय को पुनः स्थापित करें।
एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित लेख में,ज्वैलर, ग्रामीण देहात के व्यापारियों को ठग और मिलावटी सोना चांदी बेचने वाला बताते हुए गंभीर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई है। समाचार पत्र ने बहुत ही चतुराई से इसमें ज्वेलर्स शब्द लिखा है,जबकि गहने बनाने का काम सभी 36 जातियां कर रही है।लेकिन जब भी कोई बात होती है बदनाम सुनार ही होता है।सुनार को शोरूम वालों के द्वारा जिस टंच या शुद्धता के जेवर बनाने का आदेश दिया जाता है वह उसी टंच और शुद्धता का जेवर बनाकर सर्राफा /शोरूम वालों को देता है। हर आइटम का ज्वेलर्स सराफा सराफा शोरुम वालों के द्वारा शुद्धता की जांच की जाती है,टंच निकलवाया जाता है उसके बाद ही उसका भुगतान किया जाता है। ऐसे में सुनार को दोष देना उसे बदनाम करना किसी भी दृष्टि में उचित नहीं है।
समाचार पत्र ने इससे पूर्व भी कई बार सुनारों की ईमानदारी पर उंगली उठाई है,इस बार उक्त खबर सराफा ट्रेडर्स कमेटी के हवाले से छापी है,उसने लिखा है कि कमेटी के पास 10से 12हजार आइटमों की टेस्ट रिपोर्ट है जो कमेटी ने अपनी प्रयोगशाला में जांची है। प्रश्न उठता है कि कमेटी ने ऐसा क्यों किया?जांच के बाद उस ज्वेलर्स, निर्माता को पाबंद क्यों नहीं किया? क्या कमेटी की जांच अंतिम ओर सही है? इसके पीछे कमेटी के पदाधिकारियों की मंशा क्या थी सुनारों को बदनाम करना थी?
स्वर्णकारों ने बैठक कर उक्त समाचार पत्र और टिप्पणी करता मित्तल के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित कर उनका विरोध करने, मित्तल का पुतला ओरअखबार की प्रतियां जलाने, इनके प्रतिष्ठानों के आगे धरना देने का निर्णय लिया है।
यह सब ठीक है लेकिन पहले ही दिन खबर छपने के तुरंत बाद शालीनता से समाचार पत्र के दफ्तर जाते अपना विरोध प्रदर्शित करते और समाचार पत्र से यह अनुरोध करते हैं की जिसने गलत किया उसी का छापा जाए, इसे एक सामान्य और सभी को टारगेट करते हुए खबर नहीं बनाई जाए। इसी समाचार पत्र ने इससे पूर्व भी सीधे-सीधे सुनारों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हुए खबरें छापी है। उन खबरों का खंडन नहीं हुआ ,ना ही समाज समाज के लोगों ने,समाज के संगठनों ने आगे आकर समाचार पत्र के संपादक मंडल से मिले ना ही कोई विरोध प्रकट किया जो की करना चाहिए था। जबकि जयपुर में स्वर्णकार समाज के कई संगठन कार्यरत हैं व्यापारिक संगठन अलग है। समाज के दो मुख्य संगठन कोर्ट कचहरी में फंसे हैं।
मैंने समाचार लिखने वाले पत्रकार से बात की 20 मिनट हुई बातचीत में उसने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि, मैंने सीधे सुनार को जिम्मेदार नहीं ठहराया है,ना ही किसी जाति का नाम लिखा है, गहने बनाने का काम 36 कोम सभी जातियां करती है।किसी भी कौम जाति ने विरोध नहीं किया, केवल मात्र सुनार और सोनी जाति ने विरोध प्रकट किया है, वह भी आक्रामक और अव्यवहारिक तरीके से।असंसदीय शब्दों का उपयोग और आक्रामक तरीके से वार्ता करना किसी भी समाज और नागरिक को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई तकलीफ है आपत्ति है तो शालीनता से अपना विरोध प्रकट करते। समाचार पत्र और पत्रकार का काम समाज में व्याप्त कुरीतियों,भ्रष्टाचार और गलत व्यवहार को उठाना है ना कि किसी शालीन व्यक्ति को बदनाम करना।
यह बात सत्य है की 2 ग्राम से कम वजन की ज्वेलरी नथ,बाली,कांटे आदि बंधेल,और पोलिस करी हुई ज्वेलरी 20,30 टंच की बिक रही है।मैंने भी श्री राकेश,मुस्कान ज्वेलर्स से बालियां खरीदी थी मैंने टेस्ट कराया तो उसमें भारी अंतर मिला, राकेश से चर्चा की तो उन्होंने माफी मांगते हुए अंतर राशि देने को कहा।जोकि सही समाधान नहीं है।
आज स्वर्णकारों के सामने एक अच्छा अवसर आया है, आपदा में अवसर तलाशने का,ईमानदारी ओर प्रतिष्ठा के साथ अपने खोए हुए व्यवसाय पर पुनः काबिज होने का।
मेरा निवेदन है स्वर्णकार समाज से ,मिलावटियों का विरोध करें,उनसे रेडिमेड, मशीन से उत्पादित खोटे गहने नहीं खरीदें। खुद बनाएं या बनवाए, ग्राहक का विश्वास जीतें, अपनी पूरी मजदूरी लें,उधारी से बचें, कलात्मक आभूषणों के निर्माण के साथ-साथ व्यावसायिकता भी अपनाएं।
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